5 common digital payment frauds by cyber
criminals and their precautions
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी
वेबसाइट wikigreen.in में. दोस्तों आज के आर्टिकल में हम ऑनलाइन पेमेंट या डिजिटल पेमेंट में होने वाली विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी ठगी या बेईमानी आप कुछ भी कह सकते
हैं, जैसी गैरकानूनी गतिविधियों मैं साइबर अपराधियों द्वारा सबसे ज्यादा काम में लिए जाने वाले पांच प्रमुख तरीकों के बारे में बात करेंगे इससे पहले आप लोगों से एक छोटी सी रिक्वेस्ट कृपया हमारी
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Online Payment frauds |
इंश्योरेंस के नाम पर की गई ठगी
दोस्तों आमतौर पर एलआईसी ऑफ इंडिया लोगों के जीवन का इंश्योरेंस करती है तथा कई अन्य इंश्योरेंस कंपनियां जैसे नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी तथा कुछ प्राइवेट कंपनियां गाड़ियों तथा अन्य प्रकार की संपत्ति का इंश्योरेंस करती है तथा साथ ही दुर्घटना की स्थिति में जीवन का भी इंश्योरेंस करती हैं. इन सब का नियामक है आईआरडीएआई यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी आफ इंडिया. इंश्योरेंस कंपनी किसी भी तरह की हो लाइफ इंश्योरेंस हो, गाड़ियों के इंश्योरेंस करती हो, प्रॉपर्टी के इंश्योरेंस करती हो, उनका नियामक आईआरडीएआई ही है जैसे सभी बैंकों का नियामक आरबीआई है उसी तरह सभी इंश्योरेंस करने वालों का नियामक आईआरडीएआई ही है. आईआरडीए की अधिकृत वेबसाइट है irdai.gov.in. इंश्योरेंस संबंधी ठगी में अपराधियों ने एक फर्जी वेबसाइट irdaionline.org नाम की जो
पूर्णतया नकली थी और इस नकली वेबसाइट के जरिए साइबर अपराधियों यानी ऑनलाइन ठगों ने बहुत लोगों को विभिन्न प्रकार की इंश्योरेंस पॉलिसीया बेच दी बाद में जब आईआरडीएआई तक शिकायतें पहुंची तो आईआरडीएआई ने नकली वेबसाइट के खिलाफ अलर्ट भी जारी किया तथा URL को ब्लॉक भी किया
यहां हम यह भी बताना चाहेंगे की पॉलिसी खरीदने वाले ज्ञान शुन्य थे वरना आम नागरिकों को पता है कि आईआरडीएआई एक नियामक है तथा किसी प्रकार की कोई पॉलिसी नहीं बेचता है. अतः इस तरह के यूआरएल बनाकर दुरुपयोग करने वालों से हमेशा सावधान रहें. यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जितनी भी केंद्र सरकार, राज्य सरकार या पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स की वेबसाइट है उनके अंत में डॉट ओआरजी कभी नहीं आता बल्कि डॉट gov.in या
डॉट nic.in ही आता है.
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गलत यूपीआई लिंक के जरिए ठगी
यूपीआई यानी यूनिवर्सल पेमेंट इंटरफेस को भी जाल साज धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. जाल साज किसी आकर्षक स्कीम के नाम पर नागरिकों से संपर्क करते हैं और छोटी सी राशि जैसे 10, 20, 50 या सो रुपए ट्रांसफर करने के लिए ग्राहक की यूपीआई आईडी और एप्लीकेशन पासवर्ड मांगते हैं. अपराधियों की दुष्टता से अनभिज्ञ ग्राहक उनके चक्कर में आ कर अपना विवरण उन्हें बता देते हैं और साइबर अपराधी इस स्थिति में एक बड़ी रकम हड़प लेते हैं.
कृपया ध्यान रखें अपने यूपीआई संबंधी विवरण के बारे में किसी को भी किसी भी हालत में ना बताए आपकी बैंक या कोई भी बैंक इस विषय में आपसे कभी पूछती नहीं है
सॉफ्टवेयर डाउनलोड करवा कर की जा रही ठगी
साइबर अपराधियों ने अपने छोटे-छोटे सॉफ्टवेयर बना रखें है. वे लोग ग्राहक को किसी तरह का लालच देकर या कोई भी बहाना बना कर ग्राहक को वह सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए मना लेते हैं. जब सॉफ्टवेयर ग्राहक के मोबाइल फोन में डाउनलोड हो जाता है तो उस ग्राहक के मोबाइल का पूरा स्क्रीन अपराधियों को दिखता रहता है. इस अपराधिक सॉफ्टवेयर की मदद से अपराधियों ने बहुत लोगों को चपत लगाई है
कृपया ध्यान रखें कि बैंक वेबसाइट से ही कोई सॉफ्टवेयर डाउन लोड करें तथा किसी भी अनजान स्रोत से किसी प्रकार का कोई सॉफ्टवेयर डाउनलोड नहीं करें
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इनकम टैक्स रिफंड ऑर्डर के नाम से की जा रही ठगी
इनकम टैक्स रिफंड ऑर्डर के नाम से की जाने वाली ठगी में साइबर अपराधी अपने शिकार के पास एक मैसेज भेजते हैं जिसमें एक लिंक होती है. उनको कहा जाता है कि आप अपना रिफंड प्राप्त करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें. जब अपराधियों का शिकार व्यक्ति उस लिंक पर क्लिक करता है तो ऑटोमेटिकली उसमें एक ऐप डाउनलोड हो जाता है और इंस्टॉल हो जाता है. उस ऐप की मदद से अपराधी खाते में से पैसे उड़ा लेते हैं
यहां आपके लिए याद रखने वाली खास बात यह है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यानी आयकर विभाग रिफंड ऑर्डर के लिए कभी लिंक नहीं भेजता. आयकर विभाग आपसे खाता नंबर लेता है. उसे कंफर्म करता है कि वास्तव में यह खाता आपका ही है. तब उसमें पैसे भेजता है
केवाईसी अपडेट के नाम पर की जा रही ठगी
केवाईसी यानी KNOW YOUR
CUSTOMER, यह एक RBI/बैंक की टर्म है लेकिन अपराधियों ने इसको भी ठगी का एक जरिया बना लिया है. नागरिकों के पास एक एसएमएस आता है. उसमें एक लिंक दी हुई होती है. एसएमएस में निर्देश होता है कि इस लिंक पर क्लिक करके अपना केवाईसी अपडेट करें. अपडेट नहीं करने की हालत में कई तरह की समस्याएं खड़ी होने का डर दिखाया जाता है जैसे कि खाता बंद हो जाएगा एटीएम कार्ड बंद हो जाएगा आदि. जब ग्राहक उस लिंक पर क्लिक करता है तो पर्टिकुलर भरने के लिए कहा जाता है जब अपडेट पर क्लिक किया जाता है तो एक ओटीपी आता है. लोग सोचते हैं कि शायद पर्टिकुलर कंफर्म करने के लिए ओटीपी आया है लेकिन असल में वह ट्रांजैक्शन कंफर्मेशन का ओटीपी होता है और ओटीपी लगाते ही पैसा अपराधियों के खाते में चला जाता है
यहां आपको सावधानी यह बरतनी है की एसएमएस में आए किसी भी लिंक पर क्लिक न करें. अगर आपकी बैंक आपसे केवाईसी अपडेट कराएगी तो आईडी प्रूफ लेकर नियरेस्ट ब्रांच यानी सबसे नजदीक वाली ब्रांच में जाने के लिए कहेगी
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